बलिदान
बलिदान


यहाँ कुर्बान होते है तो सारा देश रोता है
कुछ जयचन्दों के चन्दो से ,हिंदुस्तान रोता है
तुम्हारे और मेरे रोने पर फ़र्क इतना है
तुम्हारे रोने से गद्दार ,हमारे रोने से हिन्दोस्तां बनता है।
कुछ लोग है ऐसे जो पड़ोस को ज़्यादा भाते
मुल्क की इज़्ज़त नही होती, फिर भी हिन्दोस्तां आते
मेरा क़फ़न तिरंगा है, उसमे मैं लिपटूंगा
मुझे ना चाहिए सम्मान जो तुच्छ कहलाते।
बलिदान पर कोई रोता ,तो आँसू सूख ना पाते
मेरा इज़्ज़त सम्मान करके ,हिन्दोस्तां बन
ाते
यहाँ कुछ लोग है जो कुपढ़ अनपढ़ कहलाते
बलिदान घर पर होता है , नयननीर पड़ोस पर आते।
बलिदान को वीरांगना, सुहाग समझती है
सफ़ेद साड़ी के बदले में हिंदुस्तान रंगती है
कुछ तो शर्म करो शय्या पर लेटे तुम
लेटे लेटे मर जाते तुम, मरते मरते जी जाते हम।
मेरा कोई अपना जाता है जब बलिदान देता है
मेरा नज़रिया बड़ा नही , पर वह बड़ा बनाता है
वतन के वास्ते मरना, वतन के वास्ते जीना
वह एक भूमि है ,जो हिंदुस्तान कहलाता है।