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Jyoti Mehra

Tragedy

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Jyoti Mehra

Tragedy

केहर

केहर

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फि रसे सड़के हुई सुनसान,

डरकर अंदर छुप गया इंसान,


साँसों की लगी बोली,

पर चलती रही नेताओं की रैली,


लाशों से भर गया शमशान,

जब कुम्भ में हो रहा था शाही स्नान,


मजबूरों की बेबसी का फायदा उठाया,

हर चीज़ का दाम लगाया,


कालाबाज़ारी से हुए परेशान,

कितना गिर गया इनसान,


एक दूसरे पर इलज़ाम लगाते रहे ,

भले कितने ही लोगों के आँसू बहे,


मरीज़ो का था बुरा हाल,

सिसकियों से गूँज उठा अस्पताल,


विरान हो गया हर शहर,

ऐसा था कोरोना का केहर।


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