खुशियों के रंग
खुशियों के रंग
अबके बरस हो खुशियों की बौछार
बरसेंगे जब रंग हज़ार
दिलों की दूरियां हो काम
मिट जाए सारे गम।
इस नववर्ष में जब रंग बरसे
अपनों से मिलने को किसीके भी नैना न तरसे
तेरी हंसी से खिल जाए ये त्यौहार
पिचकारी से जब निकले पानी की फुहार।
बच्चों की किलकारियों से गूँज उठे सारा संसार
दोस्तों का कर पाए हम फिर से दीदार
ज़िन्दगी के दिन हैं चार
इससे होने न दे बेकार।
खुद पर रखके पूरा विश्वास
करना तुम प्रयास
मन में भर दो इतनी मिठास
की हर दिन लगे खास।