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Sumit. Malhotra

Abstract Romance Action

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Sumit. Malhotra

Abstract Romance Action

क़दमों के निशाँ

क़दमों के निशाँ

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अधूरे लगते ये क़दमों के निशाँ है, 

तेरे बिना लगते ही अधूरे निशाँ है। 


जो बीते वक़्त की रेत पे छूट गए, 

हमारे अफ़साने के कुछ निशाँ है। 


साहिल की मिट्टी पे बिखरे निशाँ, 

जैसे वो कोई भूली हुई है दास्ताँ। 


प्यार के लॉकडाऊन में वीरान ही, 

बेवफ़ाई का कोरोना बीमारी सही। 


मौजूद है दिल पे तेरे क़दमों निशाँ, 

नहीं चाहते ग़ैर के क़दम के निशाँ। 


शुक्रगुज़ार खुदा के तमाम उम्र हम, 

कुछ पल के लिए जीवन में थी तुम।


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