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मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract Others

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मानव सिंह राणा 'सुओम'

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कदम

कदम

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चलते हुए कदम रुक गए

देखा तो कई और कदम भी रुक गए

कुछ अनजाने कदम

कुछ गाड़ियों का इंतजार करते कदम

कुछ रेहड़ियों पर फल बेचते कदम

कुछ जाने पहचाने कदम

कुछ राम राम कर बढ़ते जाते कदम

कुछ बेचैनीयाँ झलकाते कदम

कुछ चलते रुकते जाते कदम

हर तरफ हर कदम हमारे चलते जाते कदम

काश इन कदमों ने किसी के दर्द को महसूस किया होता

कुछ कदम दूर सड़क पर अभी भी बिलबिलाते कदम

कुछ उनकी वीडियो बनाते कदम

कुछ देखकर उन्हें रुकते चले जाते कदम

कैसे कैसे कदम

ना कोई दर्द ना कोई सहानुभूति दिखाते कदम

पहले तो ऐसे नहीं थे कदम

हर एक को अपना मान हाथ बढ़ाते कदम

आज पैसे की दौड़ ने कहाँ ला दिया

दर्द भी अब समझ ना पाते कदम......


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