कचरा
कचरा
आज जो कचरा बिखरा है सड़को पर
ये हमारी ही लापरवाही का फल है
आज जो मची है चारों ओर हाहाकार
हमारी गलतियों का ही प्रतिफल है
खूब उड़ाओ धुआँ इन चिमनियों से
आज मौत आती करीब पल पल है
खुद को मसीहा समझने लगा था
ये मानव के अहंकार का ही फल है
बहुत भाग दौड़ हो चुकी थी ज़िन्दगी में
अब रफ्तार धीमी होने का ही पल है
