कभी खुद से बातें किया करो
कभी खुद से बातें किया करो
दूसरों से तो बतियाते हो
कभी खुद से बातें किया करो
औरों का हाल तो पूछते हो
कभी खुद की खबर भी लिया करो
रिश्ते रखे है दुनिया से
कभी खुद से रिश्ता निभाया करो
कमियाँ जो दिखती है सब में
कभी भीतर की सैर भी किया करो
सोई हुई इस बस्ती में
एक रात जाग कर देखा करो
जगाने की जो सोची है दुनिया को
कभी अपनी नींद बेच कर देखा करो
चैन ढूँढते हो ज़माने में
सपनों में खो कर देखा करो
क्यों देखते हो खुद को औरों में
अपनी हस्ती बना कर देखा करो
दूसरों से तो बतियाते हो
कभी खुद से बातें किया करो
