कभी ऐसा भी होता है...
कभी ऐसा भी होता है...
वक्त बहुत बदल गया है
आज सब मोबाइल का प्रयोग करते हैं
अब कहाँ पहले जैसे पत्र लिखना
सब कुछ मोबाइल पर
पर दूर बैठे फौजी उन्हे तो कोई पूछे
ना कोई पत्र भेजता ना कोई फोन करता
बस सब अपने अपने धुन में
इन सब में एक फौजी की बेटी पत्र
लिखती है
पर जैसे ही लिखना शुरू करती है
आँखों से आँसू निकलते है
जैसे तैसे वो पत्र लिखती है अपनी
कहानियों के किस्से सुनाती है
इधर घर में फौजी के युनिट में से
फोन आता है
माँ को बताया जाता है कि फौजी
शहीद हो गए
घर पर जैसे क़हर टूट पड़ता है
बेटी अपने पिता को पत्र नहीं भेज पाती
आखिर सारी बातें कागज़ में ही दफ़न
हो जाती है।
जय हिंद ।