Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

कैसे लंका पहुँचे हनुमान

कैसे लंका पहुँचे हनुमान

2 mins
574


सीता को खोजते हुए राम सेना,

जब पहुँची समन्दर किनारे।

अन्त ना देख समन्दर का कोई,

वानर धीरज साहस थे हारे।


ऐसा क्या हम भी नहीं करते हैं

रुक जाते हैं देख के विघ्न भारी।

सोच लेते हैं कि नहीं हो पाएगा,

तुरन्त खो देते हैं हिम्मत सारी।


ऐसे पर कहीं मिल जाए कोई,

बुद्धिमान जैसे वृद्ध जामवन्त।

सही प्रोत्साहन और समझ दे,

जो सिखाए हमें जीत का सिद्धान्त।


मन में ठाना तब हनुमान ने,

सीता खोज कर ही करूँ आराम।

पहला कदम मंजिल की ओर,

ऐसे बढ़ाया ले कर राम नाम।


पहला कदम तो शुरुआत है,

इतने से नहीं हो जाता आसान।

उत्साहित कपि पर्वत पे चढ़,

धरा रुप खूब बड़ा बलवान।


उड़े बजरंग आकाश में ऐसे,

जैसे कोई तीर चलाया राम ने।

जिस पर्वत से छलांग लगाई,

ध्वस्त हुआ आया ना कोई थामने।


जैसे ही कोशिश कोई करता है,

विघ्न रुप बदलने लगते हैं।

कई बार अपने भी प्रेमवश,

हमें पथ भटकाने लगते हैं।


ऐसे ही मैनाक पर्वत यहाँ पे,

बोला, कर लो कुछ देर आराम।

हनुमान ने प्रणाम कर कहा,

पहले हो जाने दो राम का काम।


प्रेम व सम्मान से बजरंग ने,

दूर की प्रेम से उपजी बाधा।

आगे बढ़ गये फिर हनुमान,

दृढ़ मन से अपना लक्ष्य साधा।


देखा देवताओं ने यह सब जो,

तो परीक्षा लेने का मन बनाया।

जैसे हम किसी काम के योग्य हैं,

यह पहले जाता है आजमाया।


देवताओं ने फिर सुरसा भेजा,

बोला, करो तुम शक्ति पहचान।

देखो की हनुमान में बुद्धी कैसी,

और कितना बलधारी महान।


सुरसा आई सामने जब वहाँ,

उसने लिया बड़ा सा मुँह फाड़।

हनुमान छोटा रुप धर कर,

निकल गये बिना किए प्रहार।


पवनपुत्र की बुद्धि देख कर,

सुरसा ने दिया खुब आशीर्वाद।

बुद्धि और दृढ़ संकल्प देख के,

देवों ने भी तब किया शंखनाद।


अब तक बाधा सब पार हुई,

लेकिन अभी विघ्न और बाकी है।

जब तक लंका पहुँच ना जाये,

तब तक चलना ही चालाकी है।


आगे समुद्र में एक राक्षसी थी,

जो नभचर पकड़ गिराती थी।

उसने हनुमान को भी दबोचा,

तब शिकार देख इतराती थी।


समझ ना आये तब कि हुआ क्या,

हवा में जो रुक गये हनुमान।

यह तो कुछ ऐसा कि डूब जाए,

कोई कश्ती यूँ ही तट पर आन।


कपि तब राम नाम जप कर,

अपने मन को पूर्ण शान्त किया।

फिर ध्यान से देखा नीचे ऊपर,

राक्षसी का वध उपरान्त किया।


ऐसे ही कोई समस्या जो आ जाये,

मन को शान्त पहले किया करो।

फिर निरिक्षण अच्छे से कर के,

समस्या का समाधान किया करो।


सारी बाधाओं को पार कर लंका,

जब थे पहुँचे पवनकुमार।

तब देख सीता को मन हर्षाया,

जानकी से मिले निशाचर मार।


लंका पहुँचने की यह कहानी,

क्या कुछ नहीं हमको सिखाती है।

विघ्न चाहे कितने बलवान हो,

पर जीत सकते हैं, बताती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational