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Anjali Jha

Abstract

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Anjali Jha

Abstract

कैसे कह दिया तुमने

कैसे कह दिया तुमने

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कैसे कह दिया तुमने वो प्यार नहीं था

मुझे तो अब भी वो सारी बातें याद है

वो तेरा मुझे देखकर अचानक मुड़ना

वो तेरा व्हाटसएप वाला पहला संदेश


वो तेरा सुबह का सुप्रभात और रात का शुभ रात्रि

वो तेरा हर एक बात मुझे बताना

वो तेरा हर एक बात में खुश होना

छोटी सी छोटी का इजहार करना


तुझे याद है जब हम दोनों दूर

होकर भी विडियो कॉल पर मिला करते थे

मम्मी और पापा से छुप छुपकर बातें किया करते थे

भाई-बहन के चिढ़ाने पर

हम-दोनों हंसी से लोटपोट हुआ करते थे


फिर भी कैसे कह दिया तुमने वो प्यार नहीं था

हां तुझे आज कुछ भी याद नहीं

लॉक डाउन के बीच बंद कमरे में तू

अकेले हर लम्हा गुजारा करती हो

हां शायद इस बंदी का असर

कुछ इस कदर तेरे उपर हुआ


कि हर लम्हा अकेले गुजार

कर भी तुझे याद नहीं आती 

मुझे छोड़कर आज हर बात

कमरे के दीवारों को बताया करती हो

क्या हुआ हम दोनों दूर हैं एक दूसरे से


फिर भी तुम तो मेरे हर एक

अल्फ़ाजों में आया करती हो

मैं तो तेरे अक्स को भी मानकर

हर दर्द को छुपाया करते हैं


तू तो है मेरी वो आईंना जिसमें

चेहरा अपना हर वक़्त निहारा करते हैं

हां हम-दोनों के बीच है अब बहुत दूरियां

फिर भी तेरे तस्वीर को ही

देखकर ही बातें किया करते हैं


इतना करीब होकर भी कैसे

कह दिया तुमने वो प्यार नहीं था

और मैं ये कैसे कह दूं कि वो प्यार नहीं था

मेरे हर एक सुख दुख में साथ जो तेरा था


मेरे हर एक पोस्ट पर सबसे पहले समीक्षा जो तेरा था

हर एक लिखावट में ज़िक्र जो तेरा था

कैसे कह दिया तुमने वो प्यार नहीं था।


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