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Dr.Pratik Prabhakar

Tragedy Inspirational

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Dr.Pratik Prabhakar

Tragedy Inspirational

कैसे इंसां कहलाते

कैसे इंसां कहलाते

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आँखों पर रंगों की चादर ओढ़े,

बस काला-गोरा का फ़र्क जानते।

कपटी मनुज इंसानियत के दंभी

किस मुँह खुद को इंसां कहलाते।


क्यों न समझते ,नित पैमाना गढ़ते

गोरा होना ही सुंदरता समझाते।।

पूजते श्री श्याम-राम - शिव को

क्योंकर मुझ न कुछ समझ पाते।।


बनाने वाले न कोई है फ़र्क किया

कौन हैं जो ये सब भरम फैलाते।।

मित्र, क्या हम आप ही नहीं वो 

सुंदरता को मापते रहते भरमाते।।


साथियों रंगभेद-व्यसन तजे हम

एक मनुष्य कि पहचान बनाते।।

सब एक ,परमपिता की संतान

भेद नही अब कोई मान जाते।।


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