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Abasaheb Mhaske

Tragedy

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Abasaheb Mhaske

Tragedy

कैसे चलेगा अन्नदाता को खोकर ?

कैसे चलेगा अन्नदाता को खोकर ?

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बेशक हम हैं बेमिसाल मगर

कैसे चलेगा अन्नदाता को खोकर ?

माना की झूट को सर पैर नहीं होते

मगर सच की ही जित होती हैं हमेशा


माहौल इतना बिगड गया की जैसे सब कुछ ख़त्म

पूछें किसे ? समझ में ही नहीं आ रहा क्या करे ?

चौथा स्तम्भ जिसे कहे वो तो आखरी घडी गिन रहा हैं

बचे -कूचे चंद बेचारे लड़ रहे हैं गाली- गलोच खाते हुये


अराफ़ा खानम शेरवानी, साक्षी जोशी बहन और भी होंगे

रवीशकुमार, पुण्यप्रसून,अभिसार, अजित अंजुम शम्भू सींग,

नवीनकुमार जस्टिस काटजू, जस्टिस सावंत,,प्रशांत भूषण,

महमद प्राचा,अगिनत होंगे सच्चे देशभक्त, भारतवर्ष के तारणहार


महाभारत कल भी था और आज भी हैं,कल भी रहेगा लेकिन

जित उसीकी होती हैं आखिर नेकी ईमानदारी, इरादा हो साफ

उपरवाले की लाठी पड़ती हैं जरूर उसकी आवाज नहीं होती

बस सपने जिन्दा रहे और हम सब भाई - भाई साथ रहे।


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