कैसे बतायें तुझे ?
कैसे बतायें तुझे ?
कैसे बतायें तुझे ?
तड़प रहे हम इधर,
तेरे इशारों की लड़ी,
गूँज रही बता किधर ?
कई बार की गुजारिशें,
घुमा - फिरा के बेखबर,
सोचा तुम जान लोगे,
इन धड़कनों का घर।
अनुमान तुम्हारा ठीक था,
गलत थे हम ओ हमसफर,
शर्म ~ओ ~हया ने खींच दिये,
अपने पाँव मुड़े जिधर।
बेबसी का रंग और चढ़ा,
करने लगे तेरी और फिक्र,
हर कोशिश नाकाम हुई,
जब भी छूना चाहा शिखर।
सोचा तुम्हें कल कहेंगे,
जब तुम मिलोगे नए पहर,
अभी के लिए ये तड़प सही,
जिसमें गए हम पूरे बिखर।