कैद में भी तेरा नाम ज़िंदा है
कैद में भी तेरा नाम ज़िंदा है
सलाखों के पीछे हूँ, पर हार नहीं मानी,
तेरी यादों ने मेरी साँसें संभाली हैं पुरानी।
दुश्मन की ज़मीन, पर तेरा चेहरा है पास,
हर दर्द में तुझसे मिलने की है प्यास।
तेरे खतों की स्याही अब भी महकती है,
जैसे वीराने में कोई गुलाब चहकती है।
तेरी तस्वीर को सीने से लगाए बैठा हूँ,
हर धड़कन में तेरा नाम दोहराए बैठा हूँ।
यह ज़ंजीरें जिस्म को बाँध सकती हैं,
पर रूह तो तेरे प्यार में आज़ाद रहती है।
हर सुबह तेरा नाम सूरज से पहले लेता हूँ,
हर रात तेरे ख्वाबों में खुद को खो देता हूँ।
तू कहती थी, “वापस आना ज़रूर,”
मैं वादा करता हूँ, लौटूँगा भरपूर। अगर न लौट सका, तो जान ले ये बात,
तेरे नाम पर ही होगी मेरी आख़िरी साँस की बात।

