Mubarak
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मुबारक हो, अवध में राम आये हैं,
जश्न करो, प्रभु श्रीराम आये हैं।
दीपों से दोबारा सुसज्जित हुई ये नगरी,
देखो हमारे सरकार आये हैं।
कभी रक्त से नहायी ये धरती,
फिर बी पवित्र धाम कहलाये हैं,
मुबारक हो, अवध में राम आये हैं।
जो सबके हैं पालनहार,
उनके नाम पर हुआ नरसंहार,
जिसने सारे जहाँ को बनाया,
उनका धाम अब हमने हैं सजाया,
स्वागत में उनके,
हस्तियां तमाम आये हैं,
मुबारक हो, अवध मे राम आये हैं।
इस पावन वर्षा ऋतु ने देश के,
एक बड़े हिस्से में जल तांडव करवाया हैं,
कही रोज पीडित होति हैं इक सीता,
कही कलाकारों ने जान गवाई हैं,
पर इनसब से परे, हमने अपने घरों में,
खुशी के दीप जलाये हैं,
मुबारक हो, अवध में राम आये हैं।
जब पाखंड न हो धरती पर,
अपराध न हो सडकों पर,
जब हर सीता का रक्षण हो,
जब बच्चो को कोई भय न हो,
और जब अन्नदाता खुद पेट भर खाएँगे,
तब जाके हम मानेंगे,
की अवध में श्री राम आये।