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Krishna Kunwar

Abstract

4.9  

Krishna Kunwar

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ये कैसा नेता हमने पाया ?

ये कैसा नेता हमने पाया ?

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377


मचाया जब कोरोना ने उत्पात,

करने आए वो मन की बात,

बात क्या थी कुछ समझ न आया,

हाय राम, ये कैसा नेता हमने पाया ?


जले कलेजा, जब जब मैं सोचूं,

देके वोट, क्यों बन गया मैं घोंचू,

उधर राम राज्य का पाठ पढ़ाया,

इधर बेरोज़गारी और महामारी ने तांडव मचाया,


अंधियारी इस बस्ती में,

जिसे समझा सबने रोशनी का तारा,

करके वादे नए युग के हजार,

कर न पाया कुछ वो बेचारा,


नामकरण की धुन में,

समर्थन दिया मिथुन ने,

ढोंगी ने ऐसा स्वांग रचाया,

पलट के रख दी विकास की काया,


ना हुआ विकास,

ना मिला रोजगार,

मनचाही डिग्री लेकर,

छात्र हुए कर्जदार,


किसान धरना देके हारा,

आम आदमी गया भूख से मारा,

फिर क्यों किसी को समझ ना आया,

ये कैसा नेता हमने पाया ?


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