कातिल
कातिल
तेरी बातें यूं निराली
तेरी सोने की वो बाली,
तेरा हुस्न यूं नूरानी
तू मिट्टी भी मुल्तानी,
तेरे आँखों के वो काजल
तेरी होठों की वो लाली,
तेरे भीगे- भीगे बाल
तेरे इत्र का फेका वह जाल,
तेरी वो प्यारी- सी मुस्कान
जिसने ली ना जाने
कितनों की जान,
हमने भी इस कातिल पर कर दी
अपनी जान क़ुर्बान।