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Shafali Gupta

Abstract

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Shafali Gupta

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काश

काश

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काश ! ये जिंदगी ऐसी हो जाती

मेरे पंख होते और मैं इधर उधर उड़कर 

चली जाती

काश! क्यों नही होता जिंदगी का 

हर पल शांत 

मन हमेशा रहता है क्यों अशांत?

काश ! हमारे पास कोई ऐसा होता 

जिससे हम करते अपने दिल की बात

सुनता वो हमको और समझता

हमारी सारी बात।

काश! जिंदगी बचपन में ही थम जाती

ना ही हम बड़े होते और ना ही

मुसीबतें आती।

लेकिन जिंदगी तो चलती जाती है 

हमारे कहने या सुनने से 

मुसीबतें टल नही जाती हैं।

काश!मैं अपनी तरह से राहे बना पाती 

जिंदगी को अपने तरीके से चला पाती !



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