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कुमार संदीप

Tragedy

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कुमार संदीप

Tragedy

काश!

काश!

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दुःख से जुडा़ है नाता

निर्धन का बेसहारों का,

काश! आँसू पोंछ लेता

कोई इनकी दर्द की रातों का l


ख्वाहिशों से करते हैं समझौता

लाचार, जग के मारे ये बेचारे,

काश! दुःख से छुटकारा मिलता

इन्हें भी किसी का सहारा मिलता l


धन से निर्धन होते हैं

पर दिल से अमीर होते हैं,

काश! दुनिया बेसहारों का

दुःख समझती इनके आँसू पोंछ लेती l


शौहरत पाने की न रखते हैं

अभिलाषा निर्धन,दूर हो गम की रातें,

काश! सामर्थ्यवान इंसान इनकी

गम दूर कर देते ये भी मुस्कुरा लेते l


भूखे को भोजन मिल पाता

बेसहारों को सहारा मिल पाता

काश! यह संभव हो पाता

सच में इनका भी जीवन निखर जाता l


दर्द,सितम और सिहरन से मिलता छुटकारा

न सहन करना पड़ता दर्द

काश ! कोई इनका दर्द समझ पाता

ये भी जिंदगी जी पाते जी-भर l


तकलीफ़ों से जुड़ा है नाता इनका

वर्षों से दुःख की रातें गुजारते हैं ये,

काश! एक दिन कोई इनकी चेहरे पर

मुस्कान ला देता ,ये भी जी भर जी पाते l


नित नयन से बहते हैं,नीर

कोई नहीं समझता है,निर्धनों की पीड़ा,

काश! कोई इनकी दर्द दूर कर देता

इनका भी जीवन निखर जाता l


इनके बच्चों का भविष्य अँधकार मेंरहता है,

कितने सपने फुटपाथ पर मर जाते हैं

काश! इनके बच्चों का सपना पूर्ण होता

इनके बच्चें भी डॉक्टर,अभियंता बन जाते l


इंसान तो हैवान,स्वार्थी बन गए हैं

दूसरे के दुःख से इनका नहीं कोई नाता,

काश! प्रभु ही इनकी दर्द समझ पाते

जीवन दिया है,जीने को तो गम दूर कर l


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