काश ! तुम आते धरा पर
काश ! तुम आते धरा पर
काश ! तुम आते धरा पर
भक्त सुख पाते
उनकी बगिया के सुमन दल
फिर से खिल जाते
तुम नहीं तो सूनी धरती
पवन खलनायक बना
बंद अब पंछी के कलरव
अधर पर पहरा पडा
तमस है चहुँ ओर
दिखता ओर है ना छोर
तुम जो आते साथ में
मधुमास भी लाते
मन हुआ अब बावला
आकाश छूता बवंडर
आपकी निजता निकटता
हो रही है खण्डहर
चिर प्रतीक्षित 'वराभय '
का दान हम पाते
रूठती जाती खुशी के
द्वार खुल जाते
तुम कहाँ हो किस जगह हो
जान हम पाते नहीं
शून्य में भी तुम उपस्थित
मान पाते हम नहीं
ह्रदय मन की कोठरी में
देख हम पाते
मृग मरिच कस्तूरी जैसा
सहज ही पाते
मैं अभी भी पीठ पर
पाता हूँ 'बाबा' झपकियाँ
फिर भी जाने किनके खातिर
आ रही हैं हिचकियाँ
ध्यानकीर्तन साधना से
कर रहा हूँ प्रार्थना
तुम पधारो फिर धरा पर
भक्त करते याचना
भक्त हम सब हैं सुकोमल
ढूढते अदभुत कमल दल
पंखुरी के बीच बैठे
आपको पाते
काश ! तुम आते धरा पर।
