काश मैं पंछी होता
काश मैं पंछी होता
काश मैं पंछी होता
मेरे भी पंख होते
उड़ता मैं आसमानों पर
बैठता डालो डालो पर
बाग बगीचों में मेरा घर होता।
काश
ना रस्मों रीवाजों का
कोई मतलब होता
हर बंधन से
मैं आजाद होता।
काश
ना सोने चाँदी का
कोई मोल होता
ना पैसे कमाने का
कोई होड़ होता
ना जमीन जायदाद के लिये
कोई गैर होता....काश।
