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Dr.Bharti Koria

Classics

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Dr.Bharti Koria

Classics

अधुरा सा

अधुरा सा

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कुछ छुट जाता है

अक्सर अनजाने में,

कुछ भुले मंजर 

कुछ यादे बंजर

कुछ धुंधले चेहरे

कुछ राज़ गहरे


कुछ बिखर जाता है 

अक्सर हवाओं में, 

कुछ नींदें कुछ ख्वाब

कुछ रातों के आफताब

कुछ हंसी चुपकी सी

कुछ कमी बातों की


कभी कभी मांग लेते हैं

अक्सर दुआओं में

छोटी छोटी खुशियाँ

कभी जादू की दुनिया

कुछ पुरी होती ख्वहिशें,

कुच अधुरी सी ख्वहिशेंII


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