एक दास्ताँ
एक दास्ताँ
तुझसे मिलना शायद यही तो एक बहाना था,
जुड़ी तो नहीं मगर टूटने का फसाना था,
नाम लिख कर मिटा देंगे बस यही तो एक बाकी हैं,
हर मंदिर मज्जिद मे तेरे लिए माथा टेकु,
पता नहीं तू किस दुआ में बाकी हैं !
तुझसे मिलना शायद यही तो एक बहाना था,
जुड़ी तो नहीं मगर टूटने का फसाना था,
नाम लिख कर मिटा देंगे बस यही तो एक बाकी हैं,
हर मंदिर मज्जिद मे तेरे लिए माथा टेकु,
पता नहीं तू किस दुआ में बाकी हैं !