मंजिल...
मंजिल...
रास्ते के हर एक मोड़
पे मंजिल का नाम लिखा है,
जब कोशिशे होन्गी कामियाब
तब आराम ही आराम लिखा है...
कामयाबी के हर एक
सीढी को अब जल्दी से जल्दी
पार करना है,
अपने सपनों को सच कर
तक़्दीर से दीदार करना है...
मैं हूँ पंछी इस खुले
आसमान की,
अब बड़ी उड़ान भरनी है।
अपने सपनो की हर एक
मंजिल से अब दोस्ती करणी है..
नहीं घबराना किसी भी मुश्किल से
अब डट के खड़े रहना है,
जब होंगे दम पे कामयाब
तब आसमान से चिल्लाकर
कहना है...
