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अशोक जोशी

Abstract Tragedy Classics

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अशोक जोशी

Abstract Tragedy Classics

तूफान

तूफान

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क्या लिखूँ इस तूफान पर,

जो आया और चला गया,

अपने पीछे छोड़ गया,

बर्बादी की अनसुनी कहानी,


उड़ गई छतें मकानों की,

सब धूल धसरित हो गया,

जाने गई अनेक, सभी को,

रोता बिलखता छोड़ गया,


यें प्रकृति का तांडव है,

जो रोकें नहीं रूक सकता।


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