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V. Aaradhyaa

Classics

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V. Aaradhyaa

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मोहपाश में

मोहपाश में

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सुख की लिये चाहना मन में,

मन भाव भोग के विचारे तन में !


सुध बुध सब गंवाए बैठें हैं,

बने जलधि पर जल सब खारा !


है विवेक का पारस सब पर,

सदगुणों का असर है दुबारा !


फँस भौतिक सुख के मोहपाश में,

खुशियों कभी मिले ना वापस दुबारा !


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