मोहपाश में
मोहपाश में
सुख की लिये चाहना मन में,
मन भाव भोग के विचारे तन में !
सुध बुध सब गंवाए बैठें हैं,
बने जलधि पर जल सब खारा !
है विवेक का पारस सब पर,
सदगुणों का असर है दुबारा !
फँस भौतिक सुख के मोहपाश में,
खुशियों कभी मिले ना वापस दुबारा !
सुख की लिये चाहना मन में,
मन भाव भोग के विचारे तन में !
सुध बुध सब गंवाए बैठें हैं,
बने जलधि पर जल सब खारा !
है विवेक का पारस सब पर,
सदगुणों का असर है दुबारा !
फँस भौतिक सुख के मोहपाश में,
खुशियों कभी मिले ना वापस दुबारा !