STORYMIRROR

Suresh Kulkarni

Classics

3  

Suresh Kulkarni

Classics

बदल दो!

बदल दो!

1 min
166

मैने जो चाहा 

किया मैने 

दबाया सबको 

पैरो तले!

आज भी मै वही 

करना चाहता हूॅं !


कुछ नहीं बदला

जिंदगी जैसे गुजारी

वही रस्में वही रवाज

मैं दोहरा रहा हूॅं !


कुछ तो खयाल करो

तुम्हारी वजह से

सब रहे थे 

अब तक खामोश!


जमाना बदल गया

जरा सी बदल दो 

मियाॅं सोच तुम्हारी!


सब करते हैं

प्यार तुम से

अभी भी 

बेतहाशा

बस पैर जमा लो

उनके ताल पे

तौर पे ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics