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Abhishek Singh

Abstract

5.0  

Abhishek Singh

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काश ऐसा होता..!

काश ऐसा होता..!

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मैं होता, तुम होते, वो प्यार होता

जीने का फिर वही, अन्दाज़ होता

हर दुःख में मुझे, तुम्हारा साथ होता


तुम जब-जब आते, ख़ुशियाँ लाते

जीने का एक नया, मंज़र दिखाते

हाथ पकड़ सिने से लगा,

बालों को मेरे सहलाते जाते


तुमसे ही ख़ुशियाँ आतीं

संग अपने तुमको भी लातीं

तुम मुझसे या वो तुमसे,

आने का अपने राह दिखती।


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