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नमस्कार भारत नमस्ते@ संजीव कुमार मुर्मू

Tragedy

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नमस्कार भारत नमस्ते@ संजीव कुमार मुर्मू

Tragedy

काफी दुःखी नींबू

काफी दुःखी नींबू

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काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं  


बीच में बीच प्याज

टमाटर स्तर बढ़ा 

बेचारा कभी नींबू 

मिला नहीं मौक


काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं  


कहते है न कि 

कभी न कभी

अच्छे आते दिन 

ठीक ही वैसा 

नींबू के अच्छे

आ ही गए दिन


काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं  


साल आठ पहले

अच्छे हमसब दिन 

महंगाई छुई आसमां

पेट्रोल-डीजल-गैस

तारे दिखा रहे दिन


काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं  


फिर भी दिन अच्छे 

जला हित राष्ट्र गोबर 

बना खाना ,सफर पैदल 

कुछ दिन सोय भूखे  

हित नितांत राष्ट्र  

काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं  


महा जीबाबा सज्जन

लीटर तीस रुपए प्रति 

बाबत पेट्रोल बिकने

मुंगेरी सपन लाल हसी

काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं  


इन बात पर सवाली  

मीडिया को ही सबक 

अच्छे दिन आए उनके 

दिन-दुगुनी-रात-चौगुनी


काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं  


हंसिए पर कृत्यों मत

योग गुरु से व्यापार गुरु

योग जरूरी कया निर्योग 

जल्द ही लेंगे हल निकाल 

योग से दूर भागा महंगाई 

कब तक देंगे रहेंगे जवाब


काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं  


पक्ष नि वि पक्ष राली

वि पक्ष में बहुतेरे प्रश्न  

सिलेंडर ले रोड पर 

सत्ता सुख जाता मिल 

सुकून से तमाशा मजे  


काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं  


अगले चुनाव वादे हवाई  

अगला इंतजार में जनता 

धर्म नाम समान अफीम 

ज्यादा नहीं सस्ता हैं कोई 

धर्म की लड़ाई हो सकती

सस्ते में नहीं नींबू दिलवाए  


काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं  


सस्ती जीतते ही शिक्षा 

बदल नीति प्रवेश निजी 

मुख्य मुद्दा जरूरी धर्म 

महंगाई.....बेरोजगारी

 चीज़े मुद्दा मौलिक 


काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं  


भला क्यों दे जवाब

जीतने के लिए पता 

है धर्म की अति गोली

समय पर देनी समय  


काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं

  

जरूरत नहीं विकाश

बातें विकाश की कौन

आना था बाते अच्छे

आए तो आ ही गई


काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं  

बदलते तस्वीरें लगातार

छपवाई जारही विज्ञापन

हंसते हुवे तस्वीर किसान

कमबख्त आलोचक देख

समझ नहीं रहे बदल रहा


काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं  


भूमि पथरीली बात खुशी

पत्थर तो होता भगवान

आलम खुशाली अब यह

दुःखी मन के ये बजाए 

आत्महत्या खुशी करता


काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं  


महंगाई ना बात बेरोजगारी

सांसद अब नए बैठेंगे संसद

इससे अच्छे इससे ज्यादा

ना विरोध ना विरोधी रूप

बदल रहा रूप विकाशित


काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं  


लगती आरोप विपक्ष

डुबो रही है सरकार

मजबूरन पड़ता कहना

आप पैषठ डुबाया साल 


काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं  


मतलब साफ मौका 

पैषाठ तक साल तब 

जाकार योग्य पूछने

पक्ष का हाइब्रिड विपक्ष

विरोध से पक्ष नही 

उल्टे वापस आजाती 


काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं  


यहां सस्ता नहीं रोटी 

सस्ता मंदिर की घण्टा

बजाते रहिए घण्टा  

मिलता रहेगा सत्ता


काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं  


अच्छे दिन आयेंगे

सुनते ही उठे चेहरा  

जाता खिलखिला 


काफी दुःखी नींबू

पिछले कई साल

सस्ते में पा बिका

वैल्यू कोई दे नहीं।  


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