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Umesh Shukla

Tragedy Action

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Umesh Shukla

Tragedy Action

काम चलता रहता निर्द्वंद्व

काम चलता रहता निर्द्वंद्व

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रात का डर कभी वहां नहीं

जहां होता है भरपूर प्रकाश

अंधेरा ही उड़ाया करता है

हर शख्स का होशोहवास

समुचित प्रकाश का जहां

कहीं होता उपयुक्त प्रबंध

वहां उपस्थित लोगों का

काम चलता रहता निर्द्वंद्व

जग के बड़े शहरों में होता

रहता तीन पालियों में काम

वहां हर शख्स व्यस्त दिखता

पाने को मनवांछित परिणाम

जीवन स्तर और रहन सहन

में भी औरों से दिखता फर्क

सबको चिंता हर पल यही कि

निश्चित समय पे पूरा हो वर्क

भारत जैसे देश में अभी भी

हर तरफ काम के मौके कम

कुछ गिने चुने शहरों तक ही

सीमित औद्योगिकता का दम

काश मेरे देश की सरकारें देतीं

औद्योगिक विस्तार पर पूरा जोर

हर हाथ को काम मिलता तो

समृद्धि दिखती हमें चारों ओर



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