Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

सत्येंद्र कुमार मिश्र शरत

Tragedy

4  

सत्येंद्र कुमार मिश्र शरत

Tragedy

कालोनी के लोग

कालोनी के लोग

1 min
170


संवेदना को

चीरती आवाज 

घिसटती हुई ठेलेनुमा 

छोटे-छोटे पहिए की गाडी,

 ठेलते हुए हाथ

बिना पैरों के भी,

पैरो को पीछे छोड़ दे।

एक नियम सा था

सप्ताह में एक दिन

कालोनी में 

ठेलेनुमा गाडी को 

हाथों से

ठेलते हुए आना

और कुछ मिल जाए 

तब भी ठीक 

ना मिले तब भी

सब को आशीर्वाद देते

उसी तरह वापस 

घिसटते हुए चले जाना।

यह 

दृश्य रोजमर्रा की जिंदगी में

शामिल हो गया था।

शुरू-शुरू में 

उसे देखकर 

लोगों को सहानुभूति होती थी।

ना चाहते हुए भी

कुछ ना कुछ दे ही देते थे

कभी 

एक- दो रूपया 

या शाम की रखी रोटी

जिसे गाय या कुत्ते को खिलाते।

धीरे -धीरे 

वह भी देना बंद कर दिया।

वह 

अपने को अब भी 

उसी तरह 

ठेलेनुमा गाडी पर घसीटते हुए आती।

मैं उसे बालकनी से 

आते-जाते देखता रहता,

उसके पैर नहीं थे,

वह शरीर से अपंग थी

मेरे कोलोनी के सभ्य लोग

दिल से अपंग हो गये।

उसे फिर कभी नहीं देखा

उस कालोनी में।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy