सत्येंद्र कुमार मिश्र शरत

Romance

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सत्येंद्र कुमार मिश्र शरत

Romance

रूठना मनाना

रूठना मनाना

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कोई रूठता है 

कोई मनाता है

कम नहीं है

प्रेम

दोनों तरफ।


रूठना भी प्रेम है

मनाना भी प्रेम है

कुछ 

देर के लिए ही सही

आओ

भूल जाए

ये सारी दुनिया।


जहां ना रूठना हो 

ना मनाना

खो जाए 

हम

एक दूसरे में।


मिटा कर

अस्तित्व

अपना

साकार करें

अर्द्धनारीश्वर

की कल्पना।


      


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