सत्येंद्र कुमार मिश्र शरत
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पहली बार
कोई
जिंदगी में आया है
दिल में बैठ
कोई गीत
गुनगुनाया है।
पतझड़ में
वसंत सा
गर्मी में
बारिश सा
कोई आया है।
लगा रहा हो
दौड़े जैसे
कोई बच्चा
मन में।
कालोनी के लोग
धार
सामना
प्रत्यंचा
रूठना मनाना
कोई आया
व्यस्त
न्याय
बिखरते रिश्ते