सत्येंद्र कुमार मिश्र शरत
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तनी हुई
कमान
सी भौंह है
उसकी,
जैसे
प्रत्यंचा
चढ़ाए हुए
धनुष तोड़ने
के लिए
तत्पर हों राम।
कालोनी के लोग
धार
सामना
रूठना मनाना
पहली बार
कोई आया
व्यस्त
न्याय
बिखरते रिश्ते