कोई आया
कोई आया
वर्षों
इंतजार के बाद
आहिस्ता से
अनायास
जिंदगी में
कोई ऐसे आया
जैसे
जाड़े में
सुबह की धूप नें
हौले से
मेरी खिड़की को
खड़खड़ाया
और कहा हो
की अब उठो
आँखें खोलो
बाहर
देखो सुबह हो गई।
जैसे
पहली बार
अभी अभी
मेरे सामने
गुलाब की कली ने
अलसा कर
अंगड़ाई ली हो
और
चट् से बिखर गई।
जैसे
कहीं दूर से
कूकी हो कोयल।
घुल गई हो मिठास
मेरे कानों में।
कोई
ऐसे ही आया
मेरे सूने जीवन में।
पहली बार
जैसे
किसी ने
कोई गीत
गुनगुनाया।
इस
उमस भरी
गर्मी में
बदली बन
कर आई
और
बरस गई
इस सूखे जीवन में।