कागज की एक कतरन पर
कागज की एक कतरन पर
मेरे दोस्त
मेरे हमदम
मेरे हमदर्द मुझे
कह रहे हैं कि
कागज की एक कतरन पर
अपने आंसुओं की स्याही में
डुबोकर
सोने की कलम
किसी इतिहास के पन्नों में
दबे
राजमहल जो
अब खंडहर बन चुके हैं से
चुराकर
अपने जीवन की
मार्मिक
एक दर्द भरी कहानी को
मोतियों से सजाकर
उसपर चांदी का वर्क चढ़ाकर
उसपर सोने के पानी की परत
फिराकर
खुद को
एक बड़े दिल वाली
राजकुमारी सा पेश करते
अपनी फटेहाल तकदीर को
छिपाते
दिल में दबी चिंगारी को
बुझाते
खामोशी को शोर का
बिगुल सुनाते
आत्मा के दरवाजे पर
दुनिया का रंग छिड़काते
अपने तन का लिबास
उतार उसपर एक
मोमजामे की पारदर्शी
परत चढ़ाकर
मुंह से बोल
दिल की जुबान से
लिख
दर्द छलके तो
उफ्फ तक न कर
पीठ में कोई खंजर
भोंके तो
मुस्कुराती रह
जो तेरे साथ ज्यादती करे
गुनाह करे
उसकी चौखट पर ही
पनाह मांगकर
एक भिखारिन सी
अपनी झोली फैला
अपने कपड़े फाड़
दीवार में माथा फोड़ और
अपना सिर पटक पटककर
अपने दिल की मोहब्बत
भरी राहों में और
उसकी बेवफाई की
सुरंग सी काली परछाइयों में
दम तोड़ दे।
