ज्वलंत पन्ने "
ज्वलंत पन्ने "
बुजुर्ग कहते हैं कि अख़बार वाचन एक अच्छी आदत है
देश,विदेश की सच्ची ख़बरों की शाब्दिक दावत है।।
अब आदत छूट रही क्योंकि फ़ोन में ही ख़बरें हैं,
तो कभी कभी फोटो मन को विचलित कर देते हैं।।
कई बार हाथ में लिया अख़बार वापिस रख देते हैं,
क्योंकि हर पन्ने पर नफ़रत व आग- उगलती ख़बरें हैं।।
हिंसा,घृणा,बलात्कार के किस्से प्रथम पन्ने में छपते हैं,
और अख़बार छापने में जाने कितने पेड़ कटते हैं।।
रिश्तों से विश्वास उठ जाये ऐसी भी ख़बरें पढ़ते हैं,
आतंकवाद से भरे पन्ने देशभक्ति की अलख जगाते हैं।।
स्तर गिर गया चाहे वो अख़बार की खबर या रिश्ते हैं,
अब भरोसे के पैमाने पर दोनों ही खरे नहीं उतरते हैं।।
