जुबां
जुबां
फिसल जाती है जुबां कभी कभी गुस्ताखी में
निकल जाते हैं अल्फाज जुबां से बदगुमानी के
नहीं होती जुबां घायल बदनुमा अल्फाजों से
रूहें ज़ख्मी हो जाती हैं उन लफ्जों के एहसास से।
फिसल जाती है जुबां कभी कभी गुस्ताखी में
निकल जाते हैं अल्फाज जुबां से बदगुमानी के
नहीं होती जुबां घायल बदनुमा अल्फाजों से
रूहें ज़ख्मी हो जाती हैं उन लफ्जों के एहसास से।