STORYMIRROR
मौसम
मौसम
मौसम
मौसम
मशगूल थे शोर शराबे में
दिन भी छोटे पड़ जाते थे
जिंदगी के उन जलसों से
कोसों दूर निकल आए हैं
अब महरूमियत का मौसम है
पल भी दिन बन जाते हैं
ख़ामोशी से परहेज़ नहीं
पर तन्हाई बहुत अखरती है
More hindi poem from YOGESHWAR DAYAL Mathur
Download StoryMirror App