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Pinki Khandelwal

Romance

4  

Pinki Khandelwal

Romance

जो बे वक्त भी आ जाए वो ध्यान हो तुम...

जो बे वक्त भी आ जाए वो ध्यान हो तुम...

1 min
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भूलने को दिल चाहता है पर कहीं न कहीं एक कोने में,

तुम्हारा चेहरा अब भी मेरे ख्यालों में आता है,

प्यार भरी वो मीठी यादें अब भी मुझे तड़पाती है,

न जाने बे वक्त भी आ जाए वो ध्यान हो तुम,

भूलने की कोशिश लगातार करता है ये दिल,

पर तुम्हारी बातों का जादू है ऐसा चढ़ा,

न चाहते भी तुम्हारा जिक्र जुबां पर हो ही जाता है,

यह कैसी चाहत है जिसे भुला नहीं सकते हम,

आखिर यह कैसा इश्क है जिसे भुला नहीं सकते हम,

कशमकश में फंसा ये दिल भुलाना चाहता है तुम्हें,

पर चाहकर भी न भुला पाता वो ख्याल हो तुम,

मेरे अंतर्मन के हर कोने में बसी तुम्हारी यादें हैं,

कैसे भुला बैठे वो ख्याल जिसके सहारे गुजारे मैंने पल है,

सचमुच तुम मेरी पूजा हो मेरी तपस्या का फल हो,

मेरे हर रोम रोम में बसा मेरा सच्चा प्यार हो तुम,

मेरी हर सांसों में हर दिल की धड़कनों में तुम्हारी आहट है,

मुझे खुद से ज्यादा आता तुम्हारा ही ख्याल है।


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