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Bherusingh Chouhan

Abstract

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Bherusingh Chouhan

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ज्ञान का दीप जला दो

ज्ञान का दीप जला दो

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हंस वाहिनी,वेद धारिणी

ज्ञान का दीप जला दो।

मानवता का पाठ पदे सब

ऐसा मंत्र बता दो।


जग में छाया घोर अंधेरा

उसको दूर भगा दो

सर्व धर्म समभाव की ऐसी

सरिता आज बहा दो।

हंस वाहिनी.....


भेदभाव को चारों ओर से

जग से आज मिटा दो

एक सूत्र में बांध सभी को

माता आज मिला दो।

हंस वाहिनी.....


गौतमगांधी,महावीर की

वाणी हमें सिखा दो,

सत्य अहिंसा को अपनाएं

ऐसी राह दिखा दो।

हंस वाहिनी.....


मीरा तुलसी और रहीम सी

मेरी कलम बना दो,

तेरी भक्ति करें सदा हम

<

p>दिल में अलख जगा दो।

हंस वाहिनी.....


मात्रभूमि की रक्षा हेतु

काबिल हमे बना दो,

आजादभगत, शिवा,प्रताप सा

हौसला दिल में बदा दो।

हंस वाहिनी....


हम अबोध हैं बालक तेरे

कृपा दृष्टि बरसा दो

अहंकार का मार के रावण

उसने आग लगा दो।

हंस वाहिनी.....


भूख, गरीबी, महंगाई को

माता आज मिटा दो

रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार से

मुक्ति आज दिला दो।

हंस वाहिनी....


तुम देवी संगीत की माता 

ऐसा गीत सुना दो

भूल हुई जो अनजाने में

माता उसे भूला दो।

हंस वाहिनी....


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