Sarita Saini
Romance
उसे छुप-छुप के देखा था मैंने,
अपनी खिड़की से।
जब कभी वो घर मेरे आता था,
तब ये कहाँ ख़बर थी कि ..
इश्क़ की जंजीर में जकड़ने का..
इंतज़ाम हम कर रहें हैं।
अपनी मौत का इकट्ठा सामान
हम कर रहें हैं ।।
राखी
बदलाव
सुबह संदेशा ल...
एक सुबह ऐसी भ...
छुपा लेता हूँ...
कहाँ मिलता है...
चंद्रयान
बिखरती गई मोह...
शबनम में भीगा...
राज़_ए_उल्फ़त
हाथ मेरे हाथों में थे तुम्हारे लेकिन दिल से मेरे नहीं थे तुम। हाथ मेरे हाथों में थे तुम्हारे लेकिन दिल से मेरे नहीं थे तुम।
भले जिस्म दो हों अकेला अधूरा वही प्रेम है जो रहे रूह वाला।। भले जिस्म दो हों अकेला अधूरा वही प्रेम है जो रहे रूह वाला।।
धकेल हताशाओं के बादल खुशी के बीज भर ही देते हो। धकेल हताशाओं के बादल खुशी के बीज भर ही देते हो।
अपना लो और आ जाओ बांहों में, तुम्हें अपना गुलिस्तां बना दूँ अपना लो और आ जाओ बांहों में, तुम्हें अपना गुलिस्तां बना दूँ
ओस की नन्ही कंपकंपाती बूँद की तरह, जिसमें ठहरा है स्वादिष्ट लावा, जिसकी चाशनी में डूब ओस की नन्ही कंपकंपाती बूँद की तरह, जिसमें ठहरा है स्वादिष्ट लावा, जिसकी चा...
मैं जो जी रही हूँ,मेरे जीने की वजह तुम हो…॥ मैं जो जी रही हूँ,मेरे जीने की वजह तुम हो…॥
मेरी कल्पना क्या है रूप तुम्हारा ? मुझको भी बताओ, मेरी कल्पना क्या है रूप तुम्हारा ? मुझको भी बताओ,
तुम कभी फूलों सी तो कभी पंखुड़ी गुलाब की लगती हो। तुम कभी फूलों सी तो कभी पंखुड़ी गुलाब की लगती हो।
उसकी नशीली आंखें इस कदर जादू कर गईं. उसकी नशीली आंखें इस कदर जादू कर गईं.
मृग सी कस्तूरी वाली, हमें भी तो बताओ कहांँ से आए हो। मृग सी कस्तूरी वाली, हमें भी तो बताओ कहांँ से आए हो।
ये दो शारीरिक आत्मायों की भूख है ,इस खेल में कोई हार - जीत नहीं। ये दो शारीरिक आत्मायों की भूख है ,इस खेल में कोई हार - जीत नहीं।
तेरे बिना जिंदा तो हैं लेकिन पत्थर बन गये हैं तेरे बिना जिंदा तो हैं लेकिन पत्थर बन गये हैं
इंतजार में क्यों अपना वक्त गंवाना इंतजार में यार हुये बहुत तार तार इंतजार में क्यों अपना वक्त गंवाना इंतजार में यार हुये बहुत तार तार
के ये जिद्द है कैसी आवारा बादलों सा है प्यार तुम्हारा। के ये जिद्द है कैसी आवारा बादलों सा है प्यार तुम्हारा।
जरूर चमक रहा होगा उनका चेहरा इस समय सुनहरी आभा से जरूर चमक रहा होगा उनका चेहरा इस समय सुनहरी आभा से
ज़माना चलता रहेगा और ये हर युग में अपने होने के निशाँ ज़माना चलता रहेगा और ये हर युग में अपने होने के निशाँ
घुल रही है मेरी साँसों में तुम्हारे स्पर्श की उष्मा, मैं उबलते पिघल रही हूँ। घुल रही है मेरी साँसों में तुम्हारे स्पर्श की उष्मा, मैं उबलते पिघल रही हूँ।
मै वो बारिश अभी भी देख सकता हूँ साथ महसूस कर सकता हूँ मिट्टी मे उठनेवाली वो सुगंध। मै वो बारिश अभी भी देख सकता हूँ साथ महसूस कर सकता हूँ मिट्टी मे उठनेवाली वो...
हर लम्हा गुनगुनाऊँ मोहब्बत का नगमा है तेरी सोहबत का असर ये ! हर लम्हा गुनगुनाऊँ मोहब्बत का नगमा है तेरी सोहबत का असर ये !
मैं जो कलम हूं तो स्याही तुम हो मैं अगर किताब हूं को पन्ना तुम हो मैं जो कलम हूं तो स्याही तुम हो मैं अगर किताब हूं को पन्ना तुम हो