STORYMIRROR

Sarita Saini

Romance

2  

Sarita Saini

Romance

जंजीर इश्क़ की

जंजीर इश्क़ की

1 min
293

उसे छुप-छुप के देखा था मैंने,

अपनी खिड़की से।

जब कभी वो घर मेरे आता था,

तब ये कहाँ ख़बर थी कि ..

इश्क़ की जंजीर में जकड़ने का..

इंतज़ाम हम कर रहें हैं।

अपनी मौत का इकट्ठा सामान

हम कर रहें हैं ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance