जंगल मे विद्रोह
जंगल मे विद्रोह
जंगल के राजा आज औकात दिखा डाली
हाथी जब दौड़ में जीता तो दी बधाई और जब मांगा हक तो दी गाली
शेर अपनी नई गुफा बना रहा और मजदूर सिसक रहे
जंगल के राजा जी , जवाब देने से तुम क्यो खिसक रहे
नई गुफा से शेर बड़ी बडी बाते करता हिरणी के अधिकारों की
शेर के मंत्री मंडल से खबर आ रही हिरणी के ब्लात्कारो की
हिरणी आज रो रही , किसको अपना दुखड़ा गायेगी
दुश्मन देश से तो जीत गई तो पर अपनो से कैसे लड़ पाएगी
हिरणी के जितने पर खुशी से राजा किताबे भर देते थे
हिरणी की बहादुरी का सीना ठोककर एलान कर देते थे
आज वो ही राजा हिरणी के शोषण पर मौन खड़ा
ऐसा लगता है जंगल का राजा नही जंगल का डॉन खड़ा
कब हाथी और हिरणी जीते थे दूसरे जंगल से , पूरे जंगल मे खुशिया थी
देसी घी के लड्डू बने , और पूरे जंगल मे बट रही गुजिया थी
पर हाथी और हिरणी कैसे लड़ पाएंगे अपने ही जंगल के सरदार से
हाथी और हिरणी को कौन न्याय दिलाएगा राज दरबार से
जंगल की इस लड़ाई को पूरी दुनिया देख रही
इस लड़ाई की आग में दुश्मन लोमड़ी अपनी रोटी सेक रही
जंगल के हाथी हिरणी को भड़काकर शेर के खिलाफ षड्यंत्र रच रहा है खरगोश
जंगल का बटवारा खुद चाहता वो और दे रहा हिरणी और हाथी को दोष
ये जंगल भूल रहा है हाथी हिरणी के संघर्ष की कहानी को
पूरा जंगल व्यस्त है खुश करने में राजा रानी को
राजा की नई गुफा की खुशी में खबरी बंदर बजा रहा है ढोल
इस ढोल की आवाज़ में गुम है हाथी और हिरणी के दुख के बोल
हाथी और हिरणी के इस गुस्से से पूरे जंगल मे बड़ा तूफान आएगा
राजा का सिंघासन डोलेगा या किसी का मंत्री पद जाएगा
जानवरो में विद्रोह की फूस फूस सुनाई दी है
जब जब सिंघासन ने सिमा लांघी तब तब जंगल मे तबाही दिखाई दी है।
