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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Abstract

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

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जमीं को क्या मिलता है

जमीं को क्या मिलता है

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चांद तारों से मिलकर,

जमीं को क्या मिलता है,

प्यास का एहसास,

जमीं को बदनाम करता है।

उठाने वाले तो आसमां भी उठा लेते हैं,

फिर क्या वो जमीं पर नहीं होते हैं।

पहचान दुनिया में चीजों की होती है,

मगर बनाने वाले तो गुमनाम होते हैं।



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