जमानेवाले
जमानेवाले
तिल सरीखी बात को ताड़ बना देते हैं ज़माने वाले।
कीचड़ उछालने में तनिक न शरमाते हैं ज़माने वाले।।
लोहा गरम है चलो हम भी हथौड़ा चला देते हैं।
क्या असर होगा ये फिकर नहीं करते ज़माने वाले।।
आपकी बात को तो नज़रअंदाज करना तो आमबात है।
जिसे सुनते हैं बहुत कम मगर सुनाते हैं ज़माने वाले।।
कहीं भूल से गलती हो गयी आपसे तो ज़रा सोचो।
कोई कोर कसर नहीं रखते खिल्ली उने में जमाने वाले।।
आपकी शोहरत कहीं आपको मुकाम तक न पहुंचा दे।
इसलिए पैर खींचने से बाज नहीं आते हैं ज़माने वाले।।
आपकी मुस्कराहटों में इजाफा की आशंका देखकर।
गम में तबदील करने के बहाने बनाते हैं ज़माने वाले।।
ये कैसे लोग जो भाई भाई को जुदा करने में माहिर।
और ‘आजाद’ फिर दरियादिली दिखाते हैं ज़माने वले।।