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Kalyani Nanda

Abstract

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Kalyani Nanda

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जल की धारा

जल की धारा

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जीवन का आधार,

पृथ्वी का संसाधन,

अमूल्य रत्न हो,

जल, तुम एक जीवन धारा हो ।


बहती हुई नदियाँ ,

उफनती हुई सागर की लहरें,

झरनों के गुंजन ,

स्वच्छता की छवि हो तुम,

नीर हो, जल हो, पानी हो,

जीव जगत के जीवन का जीवन हो ।


तुम शान्त हो, तुम तेज हो,

जीवन की तरह ,बढ़ते हुए जीवन हो ,

आए शत बाधाएँ ,

प्रतिरोध कर ना पाएँ ,

गति तुम्हारे, पथ तुम्हारे ,

जल तुम ,अविरत बहती हुई धारा हो ।


तुम बिन जीवन नहीं,

तुम बिन प्रकृति में रस नहीं,

पेड, पौधे सारे प्राण हीन हैं ,

धरती सूखी , खेत सूखा ,

तुम बिन जीवन हाहाकार है,

हे जीवन, तुम जीवन का स्रोत हो,

तुम नव जीवन हो,

तुम अमूल्य , श्रेष्ठ धन हो,

जल तुम जीवन हो, नीर हो,

बहती हुई जीवन धारा हो । ।


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