जल की धारा
जल की धारा
जीवन का आधार,
पृथ्वी का संसाधन,
अमूल्य रत्न हो,
जल, तुम एक जीवन धारा हो ।
बहती हुई नदियाँ ,
उफनती हुई सागर की लहरें,
झरनों के गुंजन ,
स्वच्छता की छवि हो तुम,
नीर हो, जल हो, पानी हो,
जीव जगत के जीवन का जीवन हो ।
तुम शान्त हो, तुम तेज हो,
जीवन की तरह ,बढ़ते हुए जीवन हो ,
आए शत बाधाएँ ,
प्रतिरोध कर ना पाएँ ,
गति तुम्हारे, पथ तुम्हारे ,
जल तुम ,अविरत बहती हुई धारा हो ।
तुम बिन जीवन नहीं,
तुम बिन प्रकृति में रस नहीं,
पेड, पौधे सारे प्राण हीन हैं ,
धरती सूखी , खेत सूखा ,
तुम बिन जीवन हाहाकार है,
हे जीवन, तुम जीवन का स्रोत हो,
तुम नव जीवन हो,
तुम अमूल्य , श्रेष्ठ धन हो,
जल तुम जीवन हो, नीर हो,
बहती हुई जीवन धारा हो । ।
