"जज्बा "
"जज्बा "
बाँध दो जंजीरों में
रस्सिओं में जकड डालो
बंद कर दो किसी कमरे में
ईंट की दीवारें चुनवा दो
हमारी चाहतों को कैद
करना तुम्हारे वश में नहीं
हमें उड़ने से भला
कोई रोक सकता नहीं
हम पक्षी हैं उन्मुक्त गगन के
हमें भला कौन रोक सकता है
पिंजरे सब टूट जायेंगे
जज्बे को कौन तोड़ सकता है ?