जिस्म
जिस्म
आपका ये जिस्म है, या है शराब
ऊपर से नीचे तक, क्या है बवाल।
दिल करता है, डूब जाऊँ आपके अंदर
सिप सिप कर पी जाऊँ, शराब का समंदर।
खुदा की कला है, या है कोई गलती
कहते है सारी खुशी, अंदर इसी के मिलती।
सोचता हूँ उससे, पुछ लूँ कुछ सवाल
कैसे बनाया खुदा, तुने ये बवाल।
ऊपर से नीचे तक, बनाया बेमिसाल
देखा है तुम्हें, फुर्सत से यार।
आपका ये जिस्म है, या है शराब
आपका ये जिस्म है, या है शराब.....2