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अधिवक्ता संजीव मिश्रा

Tragedy

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अधिवक्ता संजीव मिश्रा

Tragedy

जिसका दिल प्यार वफा न माने

जिसका दिल प्यार वफा न माने

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बहुत चाहा तुम्हें हमने,

घर परिवार छूटे सपने,

देख रहे हो प्यार के पंछी,

साथ नहीं दिखे अपने।

प्यार ने तन्हा जीना सिखाया,

प्यार ने तन्हा मरना सिखाया।

हाल नहीं अब कोई लेता,

साथ नहीं अब कोई देता।


चांद तारों सा है आसमां ठिकाना,

अपनो को छोड़ बहुत दूर है जाना,

प्यार में हुआ है यह पंछी बेगाना,

उल्फत कहां प्यार की ठहर जाना।

यह कोई नहीं मानता है,

प्यार दिलों की दास्तां है।

मिले तो दुनिया को बसाया,

बिछड़े तो दुनिया को दिखाया।

जिंदगी में भरोसा नहीं करते,

जो लोग भरोसा तोड़ा नहीं करते।

वो बेवफा प्यार की कीमत क्या जाने,

जिसका दिल प्यार वफा न माने।



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