Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Anushree Goswami

Others Tragedy

5.0  

Anushree Goswami

Others Tragedy

मैं और मेरी रूह

मैं और मेरी रूह

1 min
1.6K


आज शब्द बेताब हैं,

कागज़ के स्पर्श को,

जो लफ्ज़ ख़ामोश हैं,

कहने अपनी व्यथा को !


जो हर बात मुझसे,

कह देती थी बेझिझक,

की आज मुझमें शायद,

कोई रूठ-सा गया है !


वो अल्फ़ाज़ आज,

मर्म ढूंढ नहीं पा रहे,

जता नहीं पा रहे,

ख़ामोशी की वजह !


वो जो जाग रही थी मुझमें,

इबादत बनकर,

अब सो रही है मुझमें,

रिवायत बनकर !


की मेरी रूह ही मुझसे,

खफा हो चली है,

मोहब्बत के जैसी,

बेवफ़ा हो चली है !


इस कश्मकश से खुद को,

सुलझाऊं कैसे,

जो समझ चुकी हूँ

खुद को समझाऊं कैसे !


की जैसे जीवन का एक किरदार,

छूट-सा गया है,

की जैसे आज मुझ में कोई,

टूट-सा गया है !


Rate this content
Log in